मंदिर जाने के ठोस वैज्ञानिक फ़ायदे...
🚩 मंदिर जाने के ठोस वैज्ञानिक फ़ायदे
मंदिर में कदम रखते ही हमे ईश्वर का भक्ति के अलावा कई चौमुखी लाभ मिलते हैं जिनका विवरण नीचे की पंक्तियों मे किया गया है।
🙏 मंदिर जाने हमारा सुबह ब्रह्म महुर्त में जगने का नियम बनता है और हम उठते ही अपने नित्य कर्म जैसे उषापान, शौच, दन्त धावन, स्नान आदि से निवृत हो जाते है।
🙏पास के मंदिर पैदल जाने से हमारा भ्रमण व्यायाम होता है, प्राणवायु मिलती है और उगते हुए सुर्य की दिव्य लालिमा का अवलोकन होता है।
🙏मंदिर के घंटी की ७ सेकंड की टन्कार पर ध्यान केन्द्रित होनें से हमारा मन सभी संसारिक विषमताओ से हट कर प्रभु के चरणों मे अर्पित हो जाता है।
🙏हम मंदिर में भगवान को अर्पित फूलों की खशबू से हमे स्वास्थ्य लाभ मिलता है और उत्साह वर्धन होता है।
🙏मंदिर में कपूर और अगरबत्ती की दिव्य सुगंध से हमारी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और नकारात्मकता समाप्त होती है। हाल ही में फैले स्वाइन फूल्यू के जैविक संक्रमण से बचने मे कपूर की अहम भूमिका की बहुत चर्चा हुई थी।
🙏जब हम मंदिर में आरती और कीर्तन के दौरान ताली बजाते है तो हमे इस एक्यूप्रेशर से स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
🙏आरती मे बजाये जाने वाली छोटी घंटी से हमारा पित्त दोष सन्तुलित होता है। शायद इसी कारण से गऊमाता के गले मे भी घंटी बाँधी जाती है क्योंकि ये सर्वमान्य है गाय मे पित्त ज्यादा होती है।
🙏आरती के दौरान चालीसा के जाप से हमारी वाणी मे दिव्यता आती है। ओम् के उच्चारण से हमारा चित एकाग्र होता है ।
🙏आरती के बाद शंख बजाया जाता जो श्रद्धालुओ के लिए बहुत सुखदायी और स्वास्थ्य वर्धक है।
🙏आरती के बाद हम ज्योत पर अपना हाथ घुमा कर अग्नि स्पर्श करते है। इससे हमारी कोशिकाओं को दिव्य उषमता मिलती है और हमारे भीतर पल रहे सभी जीवाणु संक्रमण समाप्त हो जाते है। ज्योत पर फरने के उपरान्त हम अपनी ऊष्म हाथेलियो को आंखों से लगाते हैं। यह गर्माहट से हमारी आँखो के पीछे की सुक्षम रक्त वाहिकाओं को खोल देती है और उन में ज्यादा रक्त प्रवाहित होने लगता है जिससे हमारी आँखो कि ज्योति मे वृद्धि होती
🙏मंदिर में भगवान के दर्शन के बाद हमें तुलसी, चरणामृत और प्रसाद मिलता है। चरणामृत एक दिव्य पेय प्रसाद होता है जिसे गाय के दुग्ध, दही, शहद, मिस्री, गंगाजल और तुलसी से बना कर विशेष धातु के बर्तन में रखा जाता है। आयुर्वेद के मुताबिक यह चरणामृत हमारे शरीर के तीनों दोषों को संतुलित रखता है। चरणामृत के साथ दी गई तुलसी हम बिना चबाए निगल लेते हैं जिससे हमारे सभी रोग ठीक हो जाते हैं।
🙏मंदिर की भूमि को सकारात्मक ऊर्जा का वाहक माना जाता है। यह ऊर्जा भक्तों में पैर के जरिए ही प्रवेश कर सकती है। इसलिए हम मंदिर के अंदर नंगे पांव जाते हैं।
🙏मंदिर में सूर्य को जल अर्पित करने से हम उसकी आलौकिक किरणों से लाभान्वित होते हैं।
🙏पीपल,बड़, बरगद को जल अर्पण करने से हमे वहाँ फैली ख़ास तरह की ऑक्सिजन मिलती है। ये सभी एक दिव्य वृक्ष है जो बहुत अघिक मात्रा में प्राणवायु को चारों और विसर्जित करते हैं। इसके पत्ते इतने संवेदनशील होते है कि वे रात्रि मे भी चंद्रमा की किरणों से आक्सिजन पैदा करते हैं। मंदिर में हम तुलसी के पौधे और केले के पेड़ को भी जल देकर तृप्ति होते है।
हम सब प्रति दिन मंदिर जाने का संकल्प ले इससें हमारा समाज संगठित होगा संस्कृति की रक्षा होगी।
🌹🌷 *जय श्री राम*💐🙏
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